Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -06-Jul-2022.... डाक्टर विशेषांक मेरा लेख..... नर्स...

हम अक्सर डाक्टर की बात करते हैं...। डाक्टर के काम को सराहते हैं..। 

डाक्टर... एक नाम...एक पहचान और कहानी... सब कुछ इस शब्द में देखते हैं...। 
दुनिया में कोई भी महामारी आई हो... कोई भी प्राकृतिक विपदा हो.. कोई भी लड़ाई झगड़े हो.... डाक्टर की टीम हमेशा एक्टिव रहती हैं....। 

बड़े बड़े फिल्मस्टार हो... राजनेता हो... बिजनेस मैन हो या कोई उघोगपति.... सबका अपना पर्सनल डाक्टर होता हैं... जिसे हम सब फैमिली डाक्टर कहते हैं...। 

लेकिन क्या कभी भी आपने....हमने .... या किसी ने भी एक बात पर गौऱ किया हैं की जो डाक्टर सबके लिए हर वक़्त हाजिऱ रहते हैं... उनको भी एक खास शख्स की हमेशा जरुरत रहतीं है....।
चाहे कितना भी बड़ा मल्टी स्पेशलिस्ट हास्पिटल हो या कोई सरकारी दवाखाना.... हर जगह इस शख्स के बिना अधूरी है....और वो शख्स.... जिसे हम सब नर्स.... या सिस्टर कहकर बुलाते हैं...। 

सिस्टर.....इनके बिना हास्पिटल अधूरें हैं...। इनके सेवा भाव को हम सभी अक्सर अनदेखा कर देते हैं...। लेकिन ये कभी भी अपने काम को अनदेखा नहीं करतीं...। 

ये अपना काम पूरी लगन के साथ... पूरे सेवाभाव के साथ करतीं है...। 

डाक्टर का काम एक पल को खत्म हो जाए.... पर इनका काम कभी खत्म नही होता...। 


बड़े बड़े अस्पतालों में ड्यूटी बदलतीं रहतीं हैं इनकी.. लेकिन काम वहीं का वहीं रहता हैं...। 


मुझे आज भी अच्छे से याद है जब मेरी एक सहेली प्रेग्नेंट थीं... उनका एक प्राइवेट अस्पताल में रेगुलर ट्रीटमेंट चल रहा था...। लेकिन डिलेवरी का समय नजदीक आने पर एक रोज़ उसे कुछ तकलीफ होने लगी... वो अपने घर वालो के साथ उसी अस्पताल में पहुंचीं...। लेकिन उस वक्त हास्पिटल में डाक्टर मौजूद नहीं थें...। उनको तुरंत फोन किया गया और मेरी सहेली को इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया गया...। 

उस रोज़ बारिश भी अपने पूरे गुमान में थीं...। वहाँ मौजूद स्टाफ लगातार डाक्टर के संपर्क में था...। वो घर से तो निकल चुकी थीं पर रास्ते में बारिश और पानी भराव की वजह से उन्हें पहुंचने में विलंब हो रहा था...। दूसरी ओर मेरी सहेली की तबियत बिगड़ती जा रहीं थीं...। ऐसे मौसम में दूसरे हास्पिटल जाना भी मुश्किल था...। वक्त की नजाकत को समझते हुए वहाँ मौजूद एक नर्स ने डाक्टर से परमिशन लेकर स्टाफ के साथ डिलीवरी करवाने का सोचा....वो नर्स पूरे नौ महीनों से उसकी पल पल की खबर रखें हुवे थीं...। उसके पास सारी रिपोट्स और लेखा जोखा था...। 
डाक्टर से फोन पर कनेक्ट होकर आखिर कार उन नर्सों के स्टाफ ने डिलीवरी की.... और मेरी सहेली की जान भी बचाई....। 


बात सिर्फ़ इस किस्से की नहीं हैं... । नर्स के बिना हर हास्पिटल सूना हैं.... हर डाक्टर अधुरा हैं...। ये वो सच्चाई हैं जिसे हम सब जानते हैं... लेकिन कभी इस ओर ध्यान ही नहीं देते...। क्योंकि कभी हम इनके सेवा भाव को समझे ही नहीं हैं....। 

सिस्टर..... डाक्टर का प्रयाय...और उनका साया हैं....। 
इसे भी उतना ही महत्व दे... उतना ही सम्मान दे.... उतनी ही इज्जत दे.... जितना हम डाक्टर को देते हैं....। 


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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Jul-2022 09:47 PM

बहुत खूबसूरत रचना

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shweta soni

06-Jul-2022 11:58 PM

Bahot hi acha likha h apne

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Raziya bano

06-Jul-2022 07:55 PM

👌👌👌

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